Wednesday, May 11, 2011

बीसवी सदी का परिवार

आशुतोष मिश्र की माँ और पत्नी
किसी भी परिवार का महत्त्वपूर्ण भाग होते है माता पिता और बच्चे, जिसके बगैर किसी भी परिवार को पूर्ण परिवार कहना गलत होगा !किसी भी परिवार का मुखिया पिता व निर्देशक माता होती है और बच्चे कार्यकर्ता होते है और ऐसे में  परिवार विकास के लिए हमेशा अग्रसर रहता है !अगर हम परिवार के प्रकार की बात करे तो वह २ प्रकार का अधिकांश होता है, पहला एकांकी परिवार दूसरा संयुक्त परिवार !एकांकी परिवार में माता पिता व् बच्चे होते है ,जबकि संयुक्त परिवार में इन महत्त्वपूर्ण लोगो के आलावा दादा ,दादी ,चाचा चाची व् उनके बच्चे भी हो सकते है !अगर हम भारत जैसे देश को दो भागो में बाट दें, शहरी भाग व् ग्रामीण भाग तो हम पाएंगे की शहरो में एकांकी परिवार व ग्रामीण में संयुक्त परिवार की संख्या अधिक होगी !
बीसवी सदी के पूर्व के परिवार और बीसवी सदी के बाद के परिवार को अगर हम देखे तो जमीं व असमान का अंतर देखने को मिलेगा ! बीसवी सदी  के पूर्व का परिवार  प्रेम और सौहार्द पर चलता था जबकि आज का परिवार पैसो व् रुपयों पर चलता है !आज के परिवार में लोगो की कम पैसो व् रुपयों का महत्व अधिक हो गया है !जिसका उदहारण आप फिल्मो के माध्यम से देख सकते है फिल्म लगे रहो मुन्ना भाई में आज के परिवार के बारे में आप सभी देख चुके है! जिस तरह से आज कल के बच्चे अपने  माँ बाप को अपने सर का बोझ समझ रहे है और उन्हें आश्रम जाने के लिए मजबूर कर दे रहे है उससे यह साबित हो जा रहा है की बीसवी सदी का परिवार किस तरह से टूटता जा रहा  है !आज परिवार के जिस सदस्य के पास पैसा है उसका सम्मान है और जिस सदस्य के पास पैसा नहीं है उसका परिवार में  रहना मुश्किल है !
जौनपुर जिले के रामपुर गाँव का एक वाकया है जो बीसवी सदी के परिवार को प्रतिबिंबित कर रहा है !उमाशंकर मिश्र उम्र ८० वर्ष जिनके पास ३ पुत्र व् ५ पौत्र थे परिवार की संख्या १६ थी ,उमाशंकर की तबियत हमेशा ख़राब रहती थी लेकिन उनके पास उनका अपना कोई नहीं था सभी मुंबई शहर में रहते थे ,उन्हें हमेशा अपने अगल बगल के लोगो का सहारा लेना पड़ता था ,एक दिन  उमाशंकर की तबियत एकाएक ज्यादा  ख़राब हो गयी और वे डाक्टर के यहाँ तक भी नहीं पहुच सके और उनका स्वर्गवास हो गया !जब तक उनका अंतिम संस्कार किया जाता तब तक उनका कोई न आ सका ,अगल बगल के लोगो ने अंतिम संस्कार किया !यह है बीसवी सदी का संयुक्त परिवार जहाँ पिता को अंतिम समय कन्धा  तक नसीब नहीं है !
परिवार को समझना आज के समाज के लिया चुनौती है ,पैसा तो आज है कल नहीं रहेगा जगह जमीनआज है जाते समय साथ नहीं रहेगी ,लेकिन परिवार में किया गया कार्य आपस का प्यार सालो साल का चर्चा का विषय जरूर बन जाता है !