Tuesday, January 17, 2017

उल्लू न बनाओ नेता जी ..







उत्तर प्रदेश 2017 विधान सभा चुनाव आते ही एक बार फिर नेता जी और राजनितिक पार्टियां अपना अपना चाल चलना शुरू दी है ।पिछले कई महीनों से समाजवादी पार्टी की पारिवारिक कलह जनता और चुनाव आयोग के सामने थी ,जिसमे बाप बेटे की बीच दंगल चल रहा था । एन मौके पर यानि नामांकन से ठीक पहले दंगल का परिणाम आया और योद्धा अखिलेश बेटा जी घोषित हुए ।पूरी की पूरी सायकिल और पार्टी की कमान मिल गयी ।पार्टी कार्यकर्ता जो इधर उधर या शांत थे उनको एन मौके पर चार्ज कर दिया गया ।पिता जी यानि मुलायम सिंह यादव जी भी बेटे के अनुसार चलने को तैयार हो गए जो पिछले दिनों बेटे को कोसते फिर रहे थे ,चाचा जी भी चुनाव में साथ दिखने लगेंगे ये पक्का है क्योंकि स्क्रिप्ट ही ऐसी लिखी गयी थी ।
बात कांग्रेस की करें तो 27 साल यूपी बेहाल का नारा लेकर घूमने वाली पार्टी अब उन्ही 27 साल का बखान करते दिखेगी ,क्योकि गठबंधन में रहना है तो अखिलेश बाबा की जय कहना है।उत्तर प्रदेश में अपनी जमीन खो चुकी कांग्रेस पिछले साल से ही अपनी ताकत आजमाइस करती दिख रही थी कभी खटिया लेकर तो कभी 27 साल यूपी बेहाल का नारा लेकर पर आखिर में औकात का पता चल गया कि प्रशांत किशोर हो या पप्पू राहुल कोई भी दहाई का आंकड़ा पार नहीं करवा सकता ।साइकील के कैरियर पर बैठ कर अपनी नैया पार करने की जुगत में है कांग्रेसी ।
मायावती जी की बात करें तो, वैसे वो दलित चिंतक है पर चुनाव के समय मुस्लिम और स्वर्ण चिंतक बन जाती है ।मायावती जी अपने उम्मीदवारों की लिस्ट में मुस्लिम और स्वर्ण कार्ड को तरजीह दी है ।अब उन्हें दलितों के चिंता नहीं होगी क्योकि अगर दलितों टिकेट देती तो सीट तो जाती ही ऊपर से कोई और दलित नेता उनके टक्कर में आ जाता ।वैसे भी ईंट पत्थर से उत्तरप्रदेश की जनता अभी उबर नहीं पायी है तो इस बार माहौल तो ठंडा ही रहने वाला है ।
मोदी जाप करने वाली पार्टी भी अब राम मंदिर ,परिवार वाद ,तोड़ जोड़ और धर्म की बात करने से गुरेज नहीं कर रही है ।कुछ भी हो उत्तरप्रदेश में अस्तित्व तो बनाना ही पड़ेगा क्योंकि हमेशा कांग्रेस के प्रति जनता में गुस्सा थोड़ी न रहेगा कि लोकसभा फतह कर लेंगे और लोकसभा फ़तह करना है तो उत्तर प्रदेश को अपना बनाना होगा जरिया चाहे जो भी हो ।

उत्तर प्रदेश जहाँ बच्चा बड़ा होकर पहले मैथ ,इंग्लिश और साइंस नहीं पड़ता बल्कि राजनीति शास्त्र जरूर पड़ता है वो भी स्कूल से नहीं घर से लेकर चौक चौराहों पर ।ऐसे जनता को समाजवादी नेता पारिवारिक दंगल दिखा कर, कांग्रेस के पारंपरिक वोटों को मिलाकर राज सिंहासन चाहते है पर जनता उन दिनों को कैसे भूल जायेगी जो नेता जी (मुलायम) ने अखिलेश के लिए कहा कि अखिलेश मुस्लिम विरोधी हो गए है ,कांग्रेस चिल्ला चिल्ला कर कह रही थी कि अखिलेश राज नहीं माफिया राज है यूपी की जनता बेहाल है ।मायावती का मुस्लिम कार्ड और स्वर्ण प्रेम दलित वोटरों को कितना भायेगा ये तो समय बतायेगा ।सभी पार्टियों के निशाने पर चल रही भाजपा क्या अपने तोड़ जोड़ और धर्म कार्ड को लेकर अपनी नैया पार कर पायेगी जबकि नोटबंदी की मुसीबत और कालाधन का एक भी रूपये जनता के हाथ नहीं लगा हो तो क्या मोदी जाप मोदी राज कर पायेगा ये तो आने वाला मार्च का महीना ही बताएगा ।