Sunday, April 13, 2014

जौनपुर 73 ............2014.

  • पञ्च नदियों के बीच आदि गंगा गोमती की गोद में





  1. विराजमान जौनपुर ,जिसकी गंगा जमुनी तहजीब भारत वर्ष को प्रभावित करती है।सई गोमती बसुइ बरना पीली पाँचों नदियाँ जौनपुर के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।मुग़ल साम्राज्य में जौनपुर अपनी अलग पहचान रखता था।जौनपुर में वो मुग़ल साम्राज्य का बना शाही किला,अटाला मस्जिद ,पुल और कई मकबरे है जो जौनपुर को ऐतेहासिक जिला होने का दर्ज़ा दिलाते है समय को देखते हुए मूड चेंज करते है और कूद जाते है चुनाव के महापर्व में जहाँ अखाड़े भी है पहलवान भी और उनके प्रसंसक भी ।जौनपुर में कुल4500000 मनुष्य निवास करते है जिसमें 1662127 मददाता है, पुरुष 896528है और महिला संख्या 765599 है (आंकड़ा 2009)।जौनपुर की एरिया की बात करें तो वो 4.000 स्कोयर किलो मीटर है,जिनमे 300 स्कूल और 200 कॉलेज है,जहाँ की 73% लोग शिक्षित है जिनमें पुरुष 86% और महिलाएं62% शिक्षित है ।मैं जाती की बात नहीं करना चाहता पर मज़बूरी है यह लेख अधूरा  रह जायेगा ।जौनपुर में 250000 ब्राह्मण ,248000 क्षत्रिय ,265000 यादव,263000 अनुसूचित जाति व् जनजाति ,190000 मुसलमान,138000वैश्य और अन्य मददाता है। जौनपुर लोकसभा सीट से प्रथम संसद सदस्य स्वर्गीय श्री वीरबल सिंह थे जिन्होंने कांग्रेस से 1952 में अपने। प्रतिद्वंदी स्वर्गीय बलदेव को 67000  वोटों से हराया था। उसके बाद ये पर्व अपने रूप रेखा को बढ़ाते हुए अपने प्रसंसकों की भी संख्या में इजाफ़ा करता चला गया जिसमें हिन्दू मुसलमान दोनों ने विजय श्री को गले लगाया ।अगर मैं एक एक करके नाम लूँगा तो पंद्रह नाम लेने पड़ेंगे जिसको मैं जरूरी नहीं समझता। पिछले लोकसभा चुनाव में एक कमी जो रह रही थी वो भी पूरी हो गयी कि बहुजन समाजपार्टी का भी खाता खोल दिया और धनञ्जय सिंह सांसद बन गए। जौनपुर ने कभी किसी को निरास नहीं किया लगभग सभी मुख्य पार्टियों कांग्रेस,भाजपा,समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को मौका दिया वर्तमान में जौनपुर उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में पिछड़ा जिला कहा जाता है जहाँ मूलभूत सुबिधाओं का टोटा है ।जौनपुर की जनता चुनाव में हमेशा एक आस लगाये बैठी रहती है कि कोई तो विकास करेगा,जिसके उपरांत जौनपुर की जनता ने एक या दो ऐसे सांसद पाए जो विकास को गति देना चाहते थे ,जिसमें अग्रणी नाम श्री कमला सिंह जी जो कांग्रेस के सीट पर चुनाव जीते थे कमला सिंह जी ने शहर से 8किलो मीटर दूर एक कताई मिल को लाने का काम किया ,जिसमें क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध हुए जो पिछले वर्ष बंद हो गयी उसके बाद उन्होंने शहर से 30 किलो मीटर दूर शाहगंज में चीनी मिल का निर्माण करवाया ,गावों में ट्यूबेल और शिचाई के लिए नहरों का जाल बिछानें का कार्य किया ।दूसरे विकास पुरुष का ख्याल करें तो स्वर्गीय श्री अर्जुन सिंह यादव जी थे जिन्होनें शहर से 10किलोमीटर दूर अपनें निवास गाँव कुकड़ी पुर में अपनी जमीन देकर बिश्वबिद्यालय का निर्माण कार्य करवाया ।वर्तमान सांसद श्री धनञ्जय सिंह जी है जिनका नाम भारतीय मीडिया में कुछ दिन पहलें सुर्ख़ियों में था  ,सांसद पर बलात्कार और नौकरानी की हत्या करने का आरोप है ।न्यायलय नें वेळ पर हिरासत से छुटकारा दे दिया है जो अपनें चुनाव क्षेत्र जौनपुर में एक बार फिर से उन साथियों सहयोगियों से मिल रहें है जिन्होंने उन्हें रिकार्ड मत 100000 से अधिक से विजय श्री दिलायी थी ।धनञ्जय सिंह 2009 में 302618 मत पाए थे ,जोअपने प्रतिद्वंदी समाजवादी पार्टी के पारस नाथ  यादव को पटखनी दी थी ।बात करें वर्तमान में मोदी लहर की तो पुरे देश में दिख रही है ,जिसके मुंह से सुनों मोदी जाप करते सुनायी देगा। "हर हर मोदी घर घर मोदी "अबकी बार मोदी सरकार"ये नारा खूब चला है ।जौनपुर से मोदी ने कृष्णा प्रताप सिंह को अपना सैनिक चुना है ,जिन्हें जौनपुर की 80%  जनता कहती है मैं जनता ही नहीं ।जिस वंशवाद को बीजेपी अपना ढाल बनाती है कांग्रेस के लिए उसी वंशवाद के प्रतिक है के पी सिंह जी ,जो अपने स्वर्गीय पिता श्री उमानाथ सिंह जी के सुपुत्र है,एक लॉ कॉलेज के प्रबंधक भी है। जिन्हें क्षत्रिय वोटों का 100%  ब्राह्मणों का 40%और यूथ का 80% बनियों का 90%भरोसा है।भरोसा है अच्छी बात है पर बहुजन समाज पार्टी के शुभाष पांडे जी क्या भरोसा नहीं कर सकते और कर भी रहें है अनुसूचित जाति का 100% ब्राह्मणों का 60% मुसलमानों का 60%और अन्य का 20%।भोजपुरी महानायक अभिनेता से नेता और नेता से जौनपुर का बेटा बनें रविकिशन शुक्ल जी भी बड़ी उम्मीदें पाल् रखें है,उनका मानना है की मुझे सभी धर्म और जाती ,बड़े और छोटे ,पुरुष और महिलाएं 100% वोट देंगे। बात समाजवादी पार्टी की तो वो तो विकास की गंगा बहा रहें है लैपटॉप और बेरोजगारी भत्ता देकर तो उनका मानना है कि बेरोजगार 90% ,क्षत्राएँ 70%, नए वोटर क्योंकि लैपटॉप जो दिया है जिसपर समाजवादी का नाम जो आता है 90%और हमारे यादव  भाई मुसलमान भाई 100% जीतेंगे 150000 वोटों से। खेल रोमांचक बनाने के लिए पूर्व सासंद और दबंग माफिया एक महिला (वर्तमान में राष्ट्रीय अध्यक्ष )के कपड़े से विख्यात उमाकांत यादव जो जो कहते है सभी "सभी पार्टियों में दलदल है सबसे अच्छा निर्दल है"चुनाव से पहले ही 100% जीत चुके है। अब बात कर लेते है एक ऐसी पार्टी की जो कहती है हम ही साफ पाक है बाकि सब चोर सत्ता में आएंगे तो सबको जेल भेज देंगे। जब डॉ कैलास प्रकाश यादव जी को समाजवादी पार्टी ने ठेंगा दिखा दिया तो आम आदमी पार्टी से आ गए ,मेहनत के बल पर डॉक्टर साहब कहते है हम दिल्ली में जैसे जीते थे वैसे यहाँ भी जीतेंगे।इस महा पर्व में लड़ायी टक्कर की होने जा रही  है जिसमें मुसलमान और ब्राह्मण महत्वपूर्ण भूमिका में है और इंतजार में भी की कौन के पी सिंह को पटखनी दे सकता है ,अब पूछेंगे क्यों तो बता दूं पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी से सीमा दुबे जो लगातार 3बार से विधायक है उन्हें  टिकट दिया था जिनका क्षत्रिय मतदाताओं ने साथ न देकर बसपा में वोटिंग कर दी थी और मुसलमान तो बीजेपी को हरानें के लिए हमेशा तैयार बैठा रहता है।दूसरी तरफ मोदी लहर है जो जात पात से ऊपर उठकर कुछ जरूर लाभ लेता दिख रहा है ।ऐसे में धनञ्जय सिंह की भूमिका महत्त्वपूर्ण है अगर पुराने दम ख़म से चुनाव लड़े तो के पी को हारने की संभावना प्रबल होगी,चुनाव सुभाष पांडे और रविकिशन के पाले में चला जायेगा।16की सायं काल  का इंतजार करते हुए आपसे विदा लेता हूँ।@आशुतोष मिश्र @

माटी के लाल: सिराजे हिन्द जौनपुर और मेरी यादें...........

माटी के लाल: सिरजे हिन्द जौनपुर और मेरी यादें...........

Wednesday, April 9, 2014

सिरजे हिन्द जौनपुर और मेरी यादें...........

सिराजे हिन्द जौनपुर का नाम इतिहास के पन्नों  में स्वर्णिम अक्षरों में आलेखित है।कभी मुग़ल साम्राज्य में राजधानी रहा कभी ऋषि मुनियों का केंद्र जौनपुर ।अपने कुछ बतों के लिए आज भी विश्व प्रसिद्ध है चाहे वो मुली हो चाहे मक्का और इत्रा ,आज भी लोग इन वस्तुओं को पसंद करते हैं।कहने को जौनपुर एक छोटा शहर है  लेकिन अगर देखें तो क्षेत्रफल के मामले में जौनपुर एक बड़े जिले के रूप में जाना जाता है। जिसमें नौ विधानसभा और दो लोकसभा सदस्य चुने जाते है।शिक्षा के मामले में जौनपुर का अपना एक इतिहास है ,जिसमें आइएस पिसिएस की भरमार है।प्रदेश में जब कोई नौकरी या किसी भी प्रकार की मेरिट बनती है तो जौनपुर का नाम ऊपर ही रहता है ।लेकिन एक बुनियादी सवाल उठता है कि जौनपुर जब इतना संम्पन्न है तो यहाँ मूलभूत सुबिधायें क्यों नहीं हैं ।रोड का हाल देखें तो लगता है कि जैसे यह रोड आदमियों के लिए नहीं जानवरों के लिए बनाया गया हो ।घर से साबुन सैम्पू तेल परफ्यूम लगाकर निकलते है लोग लेकिन घर वापस आने पर भूत जैसे या कह सकते है जानवर हो जाते है ।पेट पलने के लिए लोगों को दिल्ली मुंबई का चक्कर लगाना पड़ता है,जहा वो अपने जीवन अस्तर को गिराकर अपना पेट पालते है। दिल्ली मुंबई जाने के लिए भी कोई खास सुबिधा नहीं है ।रेलवे की लाइन तो है लेकिन रेल की संख्या नहीं,जो है भी उनके टिकट नहीं  "चाहिए तो दलालों को तीन गुना दाम दीजिये"।थाने और कचहरी का तो ऐसा हाल है कि बयां करना अपने मानव जाति को गाली देनें जैसा है। थानेदार साहब के यहाँ आम जनता तो पहुँच नहीं सकती बिना दलालों के या कहें बिना पैसे के और कचहरी का भी यही हाल

है। बड़ी ख़ुशी हुई थी जब मेरे घर के बगल में एक यूनिवर्सिटी का शिलान्यास हुआ था मै बहुत छोटा था मोती लाल बोरा उस  समय गवर्नर थे उन्हीं के करकमलों द्वारा फीता कटा तो लगा की अब मेरा जौनपुर बदलेगा ।लेकिन हुआ क्या बिना पैसे के आप अन्दर भी नहीं जा सकते "घुस दो काम हो जायेगा "लगभग जितने भी कुलपति आये उनके अंत में भ्रस्ताचार का दाग चिपक गया ।
जौनपुर में बात राजनीति की करें तो बच्चे को पैदा होते ही शिक्षा दी जाने लगती  है राजनीति की जो बड़ा होकर किसी न किसी तरह से राजनितिक पार्टियों का सदस्य बन ही जाता है,कुछ दिन उपरांत कुछ लोग अपना भला बुरा समझते हुए सन्यास लेकर मेरी तरह अपना कैरियर बनाने के फ़िराक में पड़ जाते है ,कुछ उसी राजनीति से अपना दाल रोटी चलाते रहते है।चुनाव का समय आता है सभी छोट भइये नेता कुरता टाईट करके उम्मीदवारों के साथ हो लेते है ,जहाँ उन्हें चलने के लिए लग्जरी गाड़ी उपलब्ध हो जाती है और जेब में कुछ हरी पीली पत्तियाँ बस लगे रहो लगे रहो भैया जी की जय हो करते रहेंगे ।एक नेता जी माननीय सांसद या माननीय विधायक हो जायेंगे और अपना दिल्ली या लखनऊ में आवास बनवा लेगें उनके रिश्तेदार सगे सम्बन्धी ठेकेदार और बिल्डर हो जायेंगे ,बाकि छोट भैये नेता दलाली करने लगेंगे बाकि आम जनता फिर से धुल और मिटटी में लग जाएगी।
कुछ दिन पूर्व लोकसभा का चुनाव है मैदान में कई पहलवान ताल ठोक रहे है जिसमें भारतीय जनता पार्टी के नए नवेले के पी सिंह ,कांग्रेस से भोजपुरी अभिनेता रविकिशन शुक्ल ,बहुजन से सुभाष पांडे ,समाजवादी से पारसनाथ यादव ,नयी नवेली पार्टी जिसका नाम आम आदमी पार्टी से पुराने समाजवादी डॉ के पी यादव और कुछ दबंग मफिया जैसे पूर्व सांसद उमाकांत यादव मैदान में है।
मेरे भी मन में माहौल देखकर एक तरंग उठ रही है कि मै भी इस अखाड़े का करीब से मौजूद होकर नैन रस लूं ।पर मजबूर हूँ ,कर्मभूमि में जो कर्म का भार है उसे निभाने की जो जिम्मेदारी ले रख्खी है।@आशुतोष मिश्र