Sunday, June 5, 2011

याद आ गयी इमरजेंसी १९७५

एक घटना दूसरे घटना को सोचने के लिए  मजबूर कर देती है,  जब हम दोनों घटनाओं को  एक साथ सोचने लगते है तो एक घटना का दूसरे घटना से सम्बन्ध निकल कर सामने आ जाता है !बाबा रामदेव इस समय काफी चर्चा में है क्योकि उन्होंने भ्रष्टाचार  के खिलाफ आन्दोलन छेड़ दिया है जिसमें उनकी मांग है की देश का हजारो करोड़ रूपया जो बड़े -बड़े नेताओ ,बड़े -बड़े पूंजीपतियों  ने विदेशो में जमा कर रखा है उसे देश में लाया जाय और उस पैसे से देश का विकाश हो !बाबा रामदेव ४ जून से दिल्ली  के रामलीला मैदान में अपने लाखों भक्तो के साथ अनशन पर बैठ गए ,शायद उन्हें यह याद नहीं था की जिस सरकार के खिलाफ उनका यह आन्दोलन था वह सरकार किसी और पार्टी की  नहीं बल्कि कांग्रेस  की है जिन्हों ने  इंदिरा गांधी के सासन काल में सन १९७५ में पूरे देश को अपने हाथ में लेने की चाहत दिखाई थी पर उसका हश्र क्या हुआ यह कहने की जरूरत नहीं है वह तो पूरा देश जानता है !उस समय पूरे देश में किसी को भी यह स्वतंत्रता नहीं थी की वह आन्दोलन कर सके अपनी बात रख सके !
५ जून २०११ का दिन एक बार फिर १९७५ की याद दिला दिया, हुआ यूं की बाबा रामदेव  का रामलीला मैदान पर आन्दोलन का दूसरा दिन था रात के ३ बजे थे तभी बाबा के समर्थकों पर पुलिस की लाठी बरसने लगी ,न तो कोई सूचना न कोई सन्देश सभी समर्थक सो रहे थे तभी पुलिस वालों का तांडव सुरू हो गया !बाबा को गिरफ्तार कर लिया गया और यह कहा गया की आप लोगो का समय मात्र एक दिन और पांच हजार लोगों का था जबकि आप लोगों की संख्या लाखों में है !किसी को सर में चोट आई तो किसी को पैर में जो जहाँ भगा वो वही!यह समय स्वतंत्रता के समय की याद दिलाता है जब गांधी जी और उनके समर्थक आन्दोलन के समय अंग्रेजों के शिकार हुआ करते थे  पुलिस की लाठियां खाया करते थे !

      
ek ghata