Wednesday, February 16, 2011

kash vo mera bachpan hota,

                           , 

काश वो मेरा बचपन होता ,वो मौज और मस्ती होती l
 आज की ये ना कश्ती होती,ना कोई जिम्मेदारी होती ,
             काश वो मेरा बचपन होता !! 
माँ की गोद विस्तेर होता,बापू का कन्धा घोडा होता !
आज की ये ना कश्ती होती,ना कोई जिम्मेदारी होती,
             काश वो मेरा बचपन होता !!
पीठ पर मेरे बश्ता होता,जिसमे पटरी और बोरा होता!
आज की ये ना कश्ती होती,ना कोई जिम्मेदारी होती,
             काश वो मेरा बचपन होता !!
दोस्तों संघ खेलते खाते ,दन से झगरा कर घर  आते!
माँ मुझे डाट शुनाती  ,बापू मुझे खूब समझाते फिर भी  
दुसरे दिन भी मस्ती होती ,आज की ये ना कश्ती होती
ना कोई जिम्मेदारी होती ,काश वो मेरा बचपन होता !!
कब कौन दोस्त होता ,कब कौन दुश्मन होता यह सब
कभी न सोचना होता ,काश वो मेरा बचपन होता !!
    

Tuesday, February 15, 2011

chhatrasangh ki aavasyakta ab pahale se jyada

इस समय भूमंडलीकरण के प्रभाव में जो अंतर्राष्टीय और राष्ट्रीय परिष्ठितीय उतपन्न हो रही है और जिश प्रकार से अंतर्राष्टीय पूजीवाद का भौगोलिक और मानव स्त्रोत पैर निर्मम कब्ज़ा हो रहा है ,ऐसे में छात्रसंघ ही नहीं ,बल्कि छात्रसंघों के राष्ट्रीय और अंतररास्ट्रीय ढाचो की नितांत आवश्यकता है ल
भारत समेत पूरे दुनिया में शिक्षा निश्चित तोर पैर विकाश का एक प्रभावशाली माध्यम है l लेकिन आज निजीकरण और अंतर्राष्टीय शिक्षा संस्थाओ के निर्वाध प्रवेश के कारन ऐसा लग रहा है क़ि देश के बहुशंख्या बच्चे और नौजवान गुनात्यामक शिक्षा की परिधि से बाहेर क़र दी जायेंगें l जहा एक तरफ निर्मम पूजीवाद आक्रामक हो रहा है ,वही पज़तान्त्रिक प्रतिशोध की संस्था को खत्म करने का अभियान चलाया जा रहा है l  वियतनाम युध से लेकर इंडोनेशिया के तानाशाह सुकर्णो के विरोध और जयप्रकाश आन्दोलन तक की अगुई विद्याथियो ने ही की थी l
ट्रांसपरेंसी की रिपोर्ट के मुताबित भारतीय शिक्षा व्यवश्था में गहरे तक भ्र्श्ताचार्य व्याप्त है ,विश्वबिद्यालायो के शैक्षाणिक ,प्रशासनिक और आर्थिक ढाचे पर नौकेर्शहो ,सत्ता के अगल बगल  घुमने वालो का कब्ज़ा बड़ता जा रहा हैl
 इसलिए ऐसे छात्रसंघों  की आवश्यकता है जिनमे वर्ग चेतना हो तथा जो विकाश की एक प्रतिबधता के साथ वर्तमान जन विरोधी शिक्षा नीतियों पर प्रबल प्रहार क़र सके l

facebook aur orkut ka galat estemal

शोसल नेटवर्किंग फसबूक और ऑरकुट का जमाना ,नए लोगो को खूब भा रहा है ,जिसपर लोग अपने दैनिक सूचनाओ को आपस में बाटते है l जिससे लोग देश दुनिया का खबर रखते है ,अपने फोटो या किसी घटना का फोटो अपने मित्रो को सगा सम्बन्धी को बड़े आसानी से पहुचाया जा सकता है l आज के नए लोगो में इसका भुत सवार है जिसपर बचे से लेकर बड़े तक जुटे रहते है l यह बड़ा ही लाभकारी साबित होता जा रहा है लेकिन खतरनाक भी  क्योकि इसी के सहायता से ही आज के बच्चे अपने प्यर को ढूढने में लगे है l जो जल्द ही दोस्त और जल्द ही प्यार में तब्दील हो जाते है ,यहाँ तक तो सही है लेकिन जब प्यार के खातिर लोग अपने जान को दांव पैर लगाये तो या दूसरो के जान का खतरा बने तो बड़ा ही मुस्किल भरा छड होगा ,व् अपराध की शुरुवात का पहला कदम माना जायेगा l आज इसी का बड़ी तेजी से चलन है जो facebook व् ऑरकुट के मद्धम से हो रहा है l
हमें ए दिन अखबारों में पड़ने को मिलता है की फेसबुक के प्यार में युवती ने दी जान या ऑरकुट के प्यार में नवयुवक ने लगे फासी l हमारी सर्कार भी इस तरह की  घटना को najarandanj करती चली जा रही है l और प्रसासन हाथ पैर हाथ रखा बैठा है फिर क्या करे प्रशासन सही में ही गलत भी होता है l इसलिए हम कह सकते है की ऐसी घटना अभी और होनी बाकि है क्योकि अभी तो सुरुवात है l