Monday, January 23, 2017

जौनपुर 366 सदर विधानसभा का चुनावी अध्यन व् विश्लेषण ।आदि गंगा गोमती के गोद में बसा शहर जौनपुर जिसका इतिहास के पन्नों में भारत की राजधानी के रूप में उल्लेख किया गया है ।ज्यादा इतिहास में न जाते हुए वर्तमान की बात करते है और आप लोगों को कुछ आंकड़ों के माध्यम से यहाँ की वर्तमान राजनितिक परिदृश्य को रखने का प्रयास करता हूँ।जौनपुर में 9 विधानसभा और 2 लोकसभा (जौनपुर,मछलीशहर)है ।

                   2012 विधानसभा चुनाव में एक -एक सीट बीजेपी और कांग्रेस को और बाकि समाजवादी पार्टी को मिली थी ।जौनपुर 366 सदर विधान सभा कांग्रेस के खाते में गयी थी जिसको कांग्रेस के नदीम जावेद ने अपने प्रतिद्वंदी तेजबहादुर मौर्या (पप्पू)को  1239 वोटों से पराजित करते हुए 50863 लोगों का दिल जीता था ।2012 में मुलायम और अखिलेश यादव का बोलबाला माना जा रहा था पर सदर विधान सभा में हवा ऐसी बही की कांग्रेस को विजयश्री मिली।
जौनपुर सदर विधानसभा में पिछले कई वर्षों से एक खास धर्म के लोग ही विधायक चुने जाते है जिसमे बीजेपी के सुरेंद्र प्रताप सिंह एक अपवाद रहे जो 2002 में विजय श्री प्राप्त कर सके ।


अब  हम आपको 2012 सदर 366 विधानसभा चुनाव के कुछ खास आंकड़े प्रस्तुत करता हूँ।


प्रत्याशी                   प्राप्तमत                मतप्रतिशत  
नदीम जावेद (कांग्रेस)  50,863                     25.5  
तेज बहादुर मौर्य(बसपा) 49,624                   24.8
जावेद अंसारी (सपा)     47,724                    23.9
सुरेंद्र प्रताप सिंह(बीजेपी) 30,948                   15.5
अब हम बूथ के आंकड़े देखते है ।जीते हुए प्रत्याशी का 
जीते हुए बूथ   मजबूत बूथ   औसत बूथ  कमजोर बूथ  
  122               33                 105           225
कुल मतों की संख्या है 4,32,192 जिसमें महिला और पुरुषों के उम्र के हिसाब से आंकड़ा इस प्रकार है।


वर्षों       18-24     25-34     35-44     45-54    55-64


पुरुष -41,199    77,535    49,812  34,998  20,159
           9.5%      17.9%     11.5%    8.1%     4.1%


महिला-26,824  58,254  43,111    31,892  18,439

            6.2%     13.5%   10%       7.4%      4%
अगर कुल महिला और पुरुषों की संख्या देखी जाय तो इस प्रकार होगा -
महिला -1,93,768 
पुरुष-   2,38,404 


कुछ मतदाता न पुरुष है न ही महिला जिनकी संख्या न के बराबर है ।जाती और धर्म आधारित आंकड़ा प्रस्तुत नहीं किया जा रहा है क्योंकि चुनाव आयोग और सुप्रीमकोर्ट की ऐसी ही मंशा है ।उत्तर प्रदेश का चुनाव हो और जाती धर्म की बात न हो ये बड़ा ही मुश्किल है पर कोशिश जारी है ।


पिछले चुनावों में जाती के आधार पर आंकड़े प्रस्तुत किये जाते रहे है, जिसमें समाजवादी पार्टी के खाते में यादव और मुस्लिम वोटों को देखा जाता रहा है, खासकर उत्तर प्रदेश में। जिसे M Y फैक्टर भी कहा जाता था पर वो तब की बात है जब समाजवादी पार्टी के मुखिया और राष्टीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव हुआ करते थे, पर आज समाजवादी पार्टी के मुखिया और अध्यक्ष अखिलेश यादव है ।अखिलेश यादव अपनी पुरानी परंपरा से ऊपर उठकर विकास की बात करने की बात कह रहे है ।वही दलित वोट मायावती यानि बहुजन समाज पार्टी के माने जाते रहे है जबकि कांग्रेस में ब्राह्मण स्वर्ण और कुछ मुश्लिम वोटों को गिना जाता रहा है ।जबसे बीजेपी के खेवन हार मोदी जी हुए है ,तब से बीजेपी के वोटों में बड़ी बढत देखि गयी है जिसमें स्वर्ण,अन्य पिछड़े,जाटव वोट माना जाता रहा है ।
पिछले 2012 विधानसभा और 2014 लोकसभा को ध्यान में रखकर बात करे तो जौनपुर की जनता कुछ हदतक पारंपरिक वोटों को धता बताते हुए विकास को तरजीह देते हुए देखि गयी है जिसमें युवावों का अहम् योगदान रहा है ।2012 में 366 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के नदीम जावेद ने विकास की बात करते हुए अनेक वादे किए थे जिसे उस समय में क्षेत्र के युवावों ने सराखों पर रखते हुए उन्हें विधायक बना दिया था।बताते है कि नदीम के चुनाव में 15-40 वर्ष के युवावों ने कमान सम्हाल रखी थी ,जिनके पीछे नदीम ने पानी की तरह पैसे उड़ाये थे ।200-300 गाड़िया प्रति दिन प्रचार के लिए निकलती थी ।रहने के लिए होटल और खाने पीने की पूरी व्यवस्था होती थी ,उसीका नतीजा था कि कांग्रेस के पारंपरिक 5 हजार वोट को 50 हजार में बदल दिया गया ।2014 लोकसभा चुनाव में जौनपुर की जनता ने पूरे देश की तरह मोदी जी की विकासवादी आंधी में बह गयी थी ,जिसमें जिले से दो युवा चेहरों को चुन कर देश की संसद में पंहुचा दिया (कृष्ण प्रताप सिंह जौनपुर )(रामचरित्रनिषादमछलीशहर)।

2017 जौनपुर 366 सदर विधानसभा के लिए वैसे तो अभी सभी पार्टियों के उम्मीदवार मैदान में नहीं आए है पर तस्वीर मतदाताओं के सामने जरूर दिखाई देने लगी है ।समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन के बाद जहा ज्यादा लोगों का मानना है कि ये सीट कांग्रेस के लिए समाजवादी पार्टी छोड़ देगी, वही मन ही मन कांग्रेसी और खुद नदीम जावेद अखिलेश यादव और राहुल गांधी को शुक्रिया अदा कर रहे है ।पिछले 2 सालों से लगातार तन मन धन से मेहनत कर रहे समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को जोर का झटका लगा है ।कहा जाता है कि जावेद सिद्दीकी ने अभी तक करोड़ों रूपये खर्च दिए है जिसमें गाड़ियों का काफिला ,पार्टी कार्यालय का खर्चा और पार्टी का चंदा रहा है।ऐसे में देखने की बात होगी की जावेद सिद्दीकी 2 साल मेहनत करने के बाद क्या ये सीट नदीम जावेद को गिफ्ट में दे देते है या निर्दल चुनाव मैदान में उतरकर ताल से ताल बजाते है ।बीजेपी अभी भी इस ताक में बैठी है कि सपा कांग्रेस गठबंधन से कौन उतरता है फिर जाकर वो अपना पत्ता खोले ।

2017 उत्तर प्रदेश चुनाव जहा अखिलेश यादव और नरेंद्र मोदी के इज्जत का सवाल बनता जा रहा है वही 2019 के लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल भी माना जा रहा है ।जहाँ केंद्र की भाजपा सरकार मोदी के अगुवाई में विधानसभा चुनाव में विकास मॉडल पेश करती हुई दिखाई दे रही है जिसमें शौचालय ,गैस सिलेंडर ,स्वच्छ भारत ,डिज़िटल इंडिया,नोटबंदी को लेकर जा रही है ।वही बीजेपी पार्टी व् उसकी सहयोगी आरएसएस और अन्य हिन्दू पार्टिया धर्म को मुद्दा बनाने में परहेज करती नहीं दिखाई दे रही है ।अखिलेश यादव एक्सप्रेस वे ,मेट्रो,पुलिस 100,महिला हेल्प लाइनऔर एम्बुलेंस को लेकर मैदान में दिखाई दे रहे है ।जिनके साथ कांग्रेस का धब्बा भी साथ- साथ है ।
2017 के चुनाव में धर्म आधार न बना तो समाजवादी पार्टी और कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिलने के आसार वही धर्म आधार बना तो बीजेपी होगी प्रदेश की पहली पसंद ।