Friday, April 1, 2011

आइना भारत का




उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में मुसहर समाज की स्थिति ,ये है भारत का विकास जो आपके सामने है!इस समाज को क्यों  नहीं मिलती सुबिधायें ,इसके लिए कौन है जिम्मेदार आप बताये एक राय के रूप में !

Tuesday, March 29, 2011

आज़ाद कब और कौन

जिस आज़ादी के लिए हमारे देश के लाखों देश भक्तो ने अपने प्राणों की आहुति दे दी ,क्या वह आज़ाद हुआ ? अगर आजाद हुआ तो वहा के आम नागरिको की आज़ादी कहा गयी !वैसे तो भारत १५ अगस्त १९४७ को अंग्रेजो से आजाद हुआ था ,जो सबको पता है !यहाँ की आम जनता कब आजाद होगी ,जिसको हमेशा बंधन में बांध कर रखा गया है !चाहे अधिकतर महिला पुरूषों के बंधन में हो ,चाहे दबे कुचले अमीरों के चुंगल में हो सभी अपने अपने आज़ादी के लिए परेशान है !हमें एक बार फिर से अंग्रेजो के सासन को याद करना चाहिए जो आज के सासन से मिलता जुलता है !अंग्रेजो ने भी आम जनता का शोषण किया था जिसके माध्यम थे सिपाही और आज भी शोषण के माध्यम है सिपाही !तो हम कैसे कह सकते है की हमारा देश आजाद हो गया है !जबकि यहाँ की आम जनता तो अभी भी गुलाम है जैसा की हम पहले ही कह चुके है !अंतर अगर  हम देखे तो अंग्रेजो के सासन में और आज के सासन में सिर्फ इतना है की तब आज़ादी के लिए देश की एक फौज थी जो आजाद करना चाहती थी !जबकि अब आज़ादी के लिए  एक फ़ौज की जरूरत है !

खाश तुम्हारे लिए


मेरा दोस्त दिलीप

ये कौन कहता है कि हम दूर है तुमसे
बस बात इतनी सी कि मजबूर है दिल से !
हम फिर भी आयेंगे गमे बहार ज़ब होंगी
हम फिर भी आयेंगे दुखो कि मार जब होगी !
हर वक्त जुड़े है दिलो के तार अब  दिल से
ये कौन कहता है कि हम दूर है तुमसे !
वह यार भी क्या जो जीने भर का यार होगा
मरने के बाद भी तेरा मेरा प्यार होगा !
मर के भी तेरे वास्ते रहेंगे सकून से
ये कौन कहता है कि हम दूर है तुमसे !

Monday, March 28, 2011

देश हमारा

देश हमारा सबसे न्यारा
जिसकी धरोहर bhaichara ! 
हिन्दू muslim bhai bhai
और यहाँ  है  सिख  इसाई !
सबमें देखो आपस का मेल
जिसका उदाहरण भारतीय रेल !
गंगा जमुनी तहजीब हमारी
जो और देशो पर पड़ी है भारी!
राम कृष्ण का जन्म हुआ
जिसको जाने जग या सारा
इसी धरा पर सचिन है जन्में
जिसका लोहा विश्व ने माना!
दुनिया वालो देखो नजारा
देश हमारा सबसे न्यारा
जिसकी धरोहर bhai chara ! 

गीत गाता चल

गीत गाता चल मुसाफिर जिंदगी की रह में 
गम के आशू पोछ ले ,खुशियों की बाहें थाम ले
हर घडी रोता तू क्यों है ,क्या था जो गया
रात होती है तो क्या, सुबह भी होती जान ले
गीत गाता चल मुसाफिर ,जिंदगी की रह में !


खूबसुरत जिंदगी से हर एक पल जा रहा
कल को तू सोचेगा ,कल क्या था और अब क्या रहा
नौजवानी बह न जाये, आसुओ की धार में
गीत गात चल मुसाफिर ,जिंदगी की राह में !


हर तरफ दुखों की बहार ,क्यों तू देखता
तेरे सामने अपनों की कतार,क्यों नहीं देखता
देख ले ताकत है कितनी ,यारो के प्यार में
गीत गाता चल मुसाफिर ,जिंदगी की राह !



महकता रहूँ दिल में तेरे ,फूल बनकर तब तक
चाँद और सूरज आसमाँ में ,चमकते रहे जब तक
मांगता हूँ बस यही ,खुदा की पनाह में
गीत गाता चल मुसाफिर ,जिंदगी की राह में !

मच्छर उवाच

आइल समय हमरो हो गैले बहार
बिना अस्तित्व के संख्या भइल हजार !
हमसे त आज सबही त डेराला
पंखा चलाय के चदरा में ढुक जा ला !
मनवा में आवेला तो मधुर गीत गायीला
नहीं तो केहू के कनवो में घुस जयीला!
हमसे बचे बिना लोग का का करेला
केहू मोटिन तो केहू मस्किटो लगावेला !
ऐसे समय हम गाना न गायीला
बल्कि कही कोने में घुस जयीला !
डाक्टर के डिस्पेंसरी हमही त चलायिला
केहू के मलेरिया तो के टायफाइड होवाइला!
जहा जमे पानी हम उही घर बनाइला
रात के उड़ी के हम सबही के घर जयीला !
अब चाहे केव होवय बाभन ठाकुर चमार
आइल समय हमरो हो गईल बहार !