समय के साथ -साथ परिवर्तन तो आवश्यक है ,परन्तु ऐसे परिवर्तन से बचना चाहिए जो अपने आधार और अस्तित्व को खतरे में डाल दे ! पत्रकारिता की आवश्यकता हमें तब पड़ी थी जब दमनकारी सासन प्रजा पर कठोर चोट पंहुचा रहा था !1780 में जेम्स आगस्तक हिक्की ने बंगाल गजट नामक प्रथम भारतीय समाचार पत्र निकला ,जिसका उद्देश्य था सासन द्वारा लिए गए निर्णयों को प्रजा या जनता तक पहुँचाना व् जनता की बात सासन तक पहुँचाना !जिसको सासन की तरफ से बहुत दबाने की कोशिश की गयी !
समाज में अपराध व् भ्रष्टाचार्य को भी आज पत्रकारों के द्वारा ही बढावा दिया जा रहा है जिसे कुछ दिनों पहले आपने २ जी स्पेक्ट्रम मामले में देखा !यह है दिशा हीन पत्रकारिता जो अपने आप पर इतरा रहा है ,शायद यह भूल गया है कि जिसका आधार व् दिशा दशा नहीं होती उसका अंत समीप होता है
आज़ादी के पूर्व भारतीय अखबारों ने काफी सघर्ष किया ,आज़ादी के लिए व् विचार अभिव्यक्ति के लिए अनेक पत्रकारों एवं समाचार पत्रों ने अपनी -अपनी कुर्बानिया दी , देश को आजाद कराने व् अभिव्यक्ति स्वतंत्रता में अपनी भूमिका निभाई !समाज को एक ऐसा रूप दिया जिसमें सभी अपने विचारों एवं भावों को व्यक्त कर सकें !अपने इन्ही कार्यो से पत्रकारिता देश का चौथा अस्तंभ बनकर उभरा जो कार्यपालिका ,न्यायपालिका ,विधायिका को सुचारू रूप से चलाने के लिए कंधे से कन्धा मिलाकर चलने लगा ,लोगो को पत्रकारिता से उम्मीदे बड़ने लगी, कि चौथा अस्तंभ देश के विकाश व् समाज के विकाश के लिए हमेशा अग्रसर रहेगा !
देश आजाद हो गया समाज व् देश, विकाश के पथ पर चलने लगा (१९४७ ) ,ऐसे में देश के कोने-कोने से अनेकों समाचार पत्र व् पत्रकारों का उदय हुआ ,जो देश के लिए शुभ संकेत माना जा रहा था !किसी को क्या मालूम था की एक दिन ऐसा परिवर्तन आएगा की पत्रकारिता और पत्रकार दोनों की दिशा दशा बदल जाएगी ,जहा पत्रकारिता धंधा बन गया वहीँ पत्रकार दलाल या मध्यस्त ,जिसका जीता जगाता सबूत आप सभी के सामने है !आज समाचार पत्र वही बोलते है जो उनका मालिक बोलता है और उनका मालिक वही बोलता है जो आथिक ,राजनैतिक सहयोग देने वाले बोलते है !आम आदमी की बातें न तो समाचार पत्र करते है न ही न्यूज़ चैनल और न्यूज़ चैनल तो हद्द ही कर दिए है सुबह से लेकर शाम तक समाचार कम नाच ,गाना , विज्ञापन अधिक दिखाते है !दिशा हीन पत्रकार शायद उन्हें भूल गए जिन्होंने अपने कलम के बल पर समाज बनाया ,देश बनाया और नाम भी कमाया ,जिनको आज भी आदर सम्मान मिलता है !उद्हरण के रूप में हम गाँधी ,मदन मोहन मालवीय ,राम मोहम राय जी को ले सकते है !समाज में अपराध व् भ्रष्टाचार्य को भी आज पत्रकारों के द्वारा ही बढावा दिया जा रहा है जिसे कुछ दिनों पहले आपने २ जी स्पेक्ट्रम मामले में देखा !यह है दिशा हीन पत्रकारिता जो अपने आप पर इतरा रहा है ,शायद यह भूल गया है कि जिसका आधार व् दिशा दशा नहीं होती उसका अंत समीप होता है
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