मै अपने कुछ कमियों के कारन कभी -कभी परेशान हो जाता था वो कमी थी सहन क्षमता जो हमारे पास नहीं थी मुझे गलत तो कभी बर्दास्त नहीं होता था ,जिसके कारण मुझे प्रथम सेमेस्टर में ही उसका खामियाजा उठाना पड़ा ,परीक्षा का समय था पेपर का नाम था विज्ञानं संचार जिसे मनोज सर पढाते थे! सिटिंग प्लान में जनसंचार के साथ -साथ एम् बी ए की भी परीक्षा थी ,एम् बी ए के छात्र काफी आवाज़ कर रहे थे जिसमें एम् बी ए के शिक्षक भी समर्थन कर रहे थे हम सभी जनसंचार के छात्र परेशान थे पर अपने पेपर में इतना व्यस्त थे की कुछ कह भी न सके !एम् बी ए की एक शिक्षिका ने हमारे ऊपर आरोप लगया की आप हमारे छात्र को कुछ बता रहे है जिसपर मुझे गुस्सा आ गया और मैंने भी अपनी कोपी जमा करते हुए कुछ उल्टा सीधा कहा !जिसका परिणाम निकला मुझे उस पेपर में पास मार्किंग नंबर दिया गया जबकि मेरे द्वारा वह कोपी सभी कोपी से अच्छी लिखी गयी थी !जनसंचार विभाग में अध्यन करते हुए यह अनुभव हुआ कि शिक्षक जिसको चाहे टॉप कराये जिसको चाहे फेल कर दे सब उन्ही के हाथ में रहता है जो हमने देखा ,जो छात्र पावरफुल था वो कभी नहीं आया उसे इंटरनल ,प्रेक्टिकल में हमेशा अच्छा नंबर मिलता रहा और जो रोज आये उन्हें पास किया गया !
जनसंचार के दो वर्ष के अध्यन में मुझे प्राणों से प्यारे दोस्त मिले जो हमारे दुःख सुख दोनों में सहभागी होते रहे जिसमें नेहा श्रीवास्तव ,सुशिल सिंह ,सतेन्द्र तिवारी ,मंज़ूर ,सहबाज,विजय ,धर्मेन्द्र ,संदीप ,दीपक ,जीतेन्द्र ,अंकुर ,स्वाधीन ,राजेश ,सुरभि श्रीवास्तव ,और प्रमोद यादव थे ,जो समय -समय पर अपना पूरा सहयोग देते रहे ,हम उनके सदा आभारी रहेंगे !
आज मै जनसंचार करने के बाद अपने आप का जब मुल्यांकन करता हूँ तो पता चलता है कि मै जनसंचार के पहले सो रहा था और अब जनसंचार के बाद नीद से जाग गया हूँ जिसके लिए मै जनसंचार विभाग को धन्यवाद देता हूँ !
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