Wednesday, June 1, 2011

जनसंचार के दो साल

मेरा दो साल कैसे जनसंचार में बीत गया मुझे पता तक नहीं चला ,मै शिक्षा से जनसंचार से पहले बहुत दूर था मेरा मन पड़ने लिखने में नहीं लगता था ,मै अपने १८ वर्ष के ही उम्र में ब्यवसाय करने  में लग गया था !ब्यवसाय में सफलता न मिलने पर मै शिक्षा की तरफ बड़ा मेरा मन था एम् बी ए करने का ,जब मै अपने बड़े बुजुर्गो से राय लेना चाहा तो मुझे जनसंचार करने की सलाह मिली और मै वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल में अप्लाई कर दिया ,जिसमें मेरा दाखिला भी हो गया, जीवन का  का महत्वपूर्ण दिन था क्योकि पहली बार मन से शिक्षा और शिक्षक से जुड़ने का दिन था, मै सुबह १० बजे क्लास रूम में प्रवेश किया जहा ७ लोग पहले से थे मै एक जगह जाकर बैठ गया प्राध्यापक आये और सभी का परिचय लिए और अपना भी परिचय दिए उन प्राध्यापक का नाम दिग्विजय सिंह राठौर  था !मुझे  जनसंचार विभाग में ५ शिक्षकों का आशीर्वाद प्राप्त हुआ जिनमें डॉ मनोज मिश्र ,डॉ अवध बिहारी सिंह,श्री दिग्विजय सिंह राठौर ,श्री जावेद अहमद ,श्री प्रभात सिन्हा थे !गेस्ट फैकल्टी के रूप में श्री मनोज श्रीवास्तव ,श्री उमेश पाठक ,वि आर गुप्ता ,डॉ आज़मी जैसे अनुभवी शिक्षकों का भी आशीर्वाद प्राप्त होता रहा !
मै अपने कुछ कमियों के कारन कभी -कभी परेशान हो जाता था  वो कमी थी सहन क्षमता जो हमारे पास  नहीं  थी मुझे गलत तो कभी बर्दास्त नहीं होता था ,जिसके कारण मुझे प्रथम सेमेस्टर में ही उसका खामियाजा उठाना पड़ा ,परीक्षा  का समय था पेपर का नाम था विज्ञानं संचार जिसे मनोज सर पढाते  थे! सिटिंग प्लान में जनसंचार के साथ -साथ एम् बी ए की भी परीक्षा थी ,एम् बी ए के छात्र काफी आवाज़ कर रहे थे जिसमें एम् बी ए के शिक्षक भी समर्थन कर रहे थे हम सभी जनसंचार के छात्र  परेशान  थे पर अपने पेपर में इतना व्यस्त  थे की कुछ कह भी न सके !एम् बी ए की एक  शिक्षिका ने हमारे ऊपर आरोप लगया की आप हमारे छात्र को कुछ बता रहे है जिसपर मुझे  गुस्सा आ गया और मैंने  भी अपनी कोपी जमा करते हुए कुछ उल्टा सीधा कहा !जिसका परिणाम  निकला मुझे उस पेपर में पास मार्किंग नंबर दिया गया जबकि मेरे द्वारा वह कोपी सभी कोपी से अच्छी लिखी गयी थी !जनसंचार विभाग में अध्यन करते हुए यह अनुभव हुआ कि शिक्षक जिसको  चाहे टॉप कराये जिसको चाहे फेल कर दे सब उन्ही के हाथ में रहता है जो हमने देखा ,जो छात्र पावरफुल था वो कभी नहीं आया उसे इंटरनल ,प्रेक्टिकल में हमेशा अच्छा नंबर मिलता रहा और जो रोज आये उन्हें पास किया गया !
जनसंचार के दो वर्ष के अध्यन में मुझे प्राणों से प्यारे दोस्त मिले जो हमारे दुःख सुख दोनों में  सहभागी होते रहे  जिसमें नेहा श्रीवास्तव ,सुशिल सिंह ,सतेन्द्र तिवारी ,मंज़ूर ,सहबाज,विजय ,धर्मेन्द्र ,संदीप ,दीपक ,जीतेन्द्र ,अंकुर ,स्वाधीन ,राजेश ,सुरभि श्रीवास्तव ,और प्रमोद यादव थे ,जो समय -समय पर अपना पूरा सहयोग देते रहे ,हम उनके सदा आभारी रहेंगे !


आज मै जनसंचार करने के बाद अपने आप का जब मुल्यांकन करता हूँ तो पता चलता है  कि मै जनसंचार के पहले सो रहा था और अब जनसंचार के बाद नीद से जाग गया हूँ जिसके लिए मै जनसंचार विभाग को धन्यवाद देता हूँ !

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