Tuesday, February 15, 2011

chhatrasangh ki aavasyakta ab pahale se jyada

इस समय भूमंडलीकरण के प्रभाव में जो अंतर्राष्टीय और राष्ट्रीय परिष्ठितीय उतपन्न हो रही है और जिश प्रकार से अंतर्राष्टीय पूजीवाद का भौगोलिक और मानव स्त्रोत पैर निर्मम कब्ज़ा हो रहा है ,ऐसे में छात्रसंघ ही नहीं ,बल्कि छात्रसंघों के राष्ट्रीय और अंतररास्ट्रीय ढाचो की नितांत आवश्यकता है ल
भारत समेत पूरे दुनिया में शिक्षा निश्चित तोर पैर विकाश का एक प्रभावशाली माध्यम है l लेकिन आज निजीकरण और अंतर्राष्टीय शिक्षा संस्थाओ के निर्वाध प्रवेश के कारन ऐसा लग रहा है क़ि देश के बहुशंख्या बच्चे और नौजवान गुनात्यामक शिक्षा की परिधि से बाहेर क़र दी जायेंगें l जहा एक तरफ निर्मम पूजीवाद आक्रामक हो रहा है ,वही पज़तान्त्रिक प्रतिशोध की संस्था को खत्म करने का अभियान चलाया जा रहा है l  वियतनाम युध से लेकर इंडोनेशिया के तानाशाह सुकर्णो के विरोध और जयप्रकाश आन्दोलन तक की अगुई विद्याथियो ने ही की थी l
ट्रांसपरेंसी की रिपोर्ट के मुताबित भारतीय शिक्षा व्यवश्था में गहरे तक भ्र्श्ताचार्य व्याप्त है ,विश्वबिद्यालायो के शैक्षाणिक ,प्रशासनिक और आर्थिक ढाचे पर नौकेर्शहो ,सत्ता के अगल बगल  घुमने वालो का कब्ज़ा बड़ता जा रहा हैl
 इसलिए ऐसे छात्रसंघों  की आवश्यकता है जिनमे वर्ग चेतना हो तथा जो विकाश की एक प्रतिबधता के साथ वर्तमान जन विरोधी शिक्षा नीतियों पर प्रबल प्रहार क़र सके l

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