Wednesday, February 16, 2011

kash vo mera bachpan hota,

                           , 

काश वो मेरा बचपन होता ,वो मौज और मस्ती होती l
 आज की ये ना कश्ती होती,ना कोई जिम्मेदारी होती ,
             काश वो मेरा बचपन होता !! 
माँ की गोद विस्तेर होता,बापू का कन्धा घोडा होता !
आज की ये ना कश्ती होती,ना कोई जिम्मेदारी होती,
             काश वो मेरा बचपन होता !!
पीठ पर मेरे बश्ता होता,जिसमे पटरी और बोरा होता!
आज की ये ना कश्ती होती,ना कोई जिम्मेदारी होती,
             काश वो मेरा बचपन होता !!
दोस्तों संघ खेलते खाते ,दन से झगरा कर घर  आते!
माँ मुझे डाट शुनाती  ,बापू मुझे खूब समझाते फिर भी  
दुसरे दिन भी मस्ती होती ,आज की ये ना कश्ती होती
ना कोई जिम्मेदारी होती ,काश वो मेरा बचपन होता !!
कब कौन दोस्त होता ,कब कौन दुश्मन होता यह सब
कभी न सोचना होता ,काश वो मेरा बचपन होता !!
    

No comments:

Post a Comment