Tuesday, March 29, 2011

खाश तुम्हारे लिए


मेरा दोस्त दिलीप

ये कौन कहता है कि हम दूर है तुमसे
बस बात इतनी सी कि मजबूर है दिल से !
हम फिर भी आयेंगे गमे बहार ज़ब होंगी
हम फिर भी आयेंगे दुखो कि मार जब होगी !
हर वक्त जुड़े है दिलो के तार अब  दिल से
ये कौन कहता है कि हम दूर है तुमसे !
वह यार भी क्या जो जीने भर का यार होगा
मरने के बाद भी तेरा मेरा प्यार होगा !
मर के भी तेरे वास्ते रहेंगे सकून से
ये कौन कहता है कि हम दूर है तुमसे !

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